वेलकम होम एक ऐसी सच्ची घटना पर बनी फिल्म है। जिसको देख कर कई रात तक आप सो नहीं पाओगे।
महाराष्ट्र के नागपुर में घटी ये घटना जब लोगो को पता चली तो लोगो के रोंगटे खड़े हो गए और इस घटना पर विश्वास करना लोगो के लिए कठिन था। इस सच्ची घटना पर बनी फिल्म यूट्यूब पर देख सकते है।
क्या है ये सच्ची घटना ( What is the real accident)
वेलकम होम की कहानी शुरू होती है नागपुर की दो लड़कियों से जो एक स्कूल में टीचर होती है। दोनों लड़कियों में से एक शादीशुदा होती है जिसका नाम अनुजा होता है और दूसरी का नाम नेहा। दोनों लड़कियों को जन गणना कार्यक्रम में लगा दिया जाता है। वो दोनों लड़किया जन गणना करते – करते नागपुर में एक सुनसान जगह पर एक घर दिखता है। दोनों लड़किया उस घर में भी जाती है। जब अनुजा दरवाजा नॉक करती है तो एक लड़की प्रेरणा जो प्रेग्नेंट है दरवाजा खोलती है। प्रेरणा को देख कर अनुजा को कुछ अजीब सा लगता है। उस घर में एक डरावनी सी औरत सावित्री और उसका बेटा घनश्याम और एक कुक भोला रहता है। अनुजा जब घर के अंदर आती है तब उसे कुछ ठीक नहीं लगता है। अनुजा पूछती है की आप कितने सदस्य हो? और आप के कितने बच्चे है ? इस बात का प्रेरणा बहुत अजीब सा जवाब देती है वो कहती है की “बच्चे तो होते है रोते है और फिर मर जाते है”। प्रेरणा की इस बात पर अनुजा चौक जाती है वो प्रेरणा के शरीर पर चोट के निशान भी देखती है। अनुजा, प्रेरणा से उसके हस्बैंड के बारे में पूछती है। इतने में ही वो बुड्ढी औरत सावित्री उनको वहां से जाने के लिए कहती है। अनुजा और नेहा अपने मन में बहुत से सवाल लेकर वहां से चली जाती है।
कुछ दिनों के बाद अनुजा और नेहा फिर से उस घर पर वापस आती है। अनुजा प्रेरणा से उसकी तबीयत के बारे में पूछती है तो वह कुछ जवाब नहीं देती है। इतने में ही बहुत तेज बारिश होने लगती है। अनुजा और नेहा बारिश रुकने का इंतजार करती है लेकिन बारिश और तेज हो जाती है। इतने में ही कुक भोला जो बहुत अजीब सा है वो कहता है की मैं चाय बहुत अच्छी बनता हूँ। आप दोनों चाय पीकर जाना। भोला कहता है की आज रात आप दोनों यही रुक जाओ आज बारिश नहीं रुकने वाली। लेकिन अनुजा और नेहा दोनों बारिश में ही जाने की कोशिश करने लगती है। शाम होने वाली है नेहा कहती है की मुश्किल है की हम जा पाएंगे बारिश बहुत तेज है। आज हम यही रुक जाते है। नेहा की बात मान कर दोनों वापिस घर में जाती है और वही रुकने का फैसला करती है। सावित्री का बेटा जो कुछ सालो से मौन व्रत रखा हुआ है और बहुत पूजा पाठ करता है। अपनी माँ सावित्री की बहुत सेवा करता है। भोला खाना बना कर टेबल पर लगाता है नेहा जैसे ही खाना चाहती है वैसे ही घनश्याम उसका हाथ पकड़ लेता है। नेहा बहुत डर जाती है। तब भोला कहता है की पहले भगवान का ध्यान करो फिर खाना खाओ। प्रेरणा बहुत अजीब तरीके से खाना खा रही होती है। उस को देख कर अनुजा को बहुत अजीब सा लगता है।
अब कहानी खतरनाक मोड़ लेगी:
रात हो जाती है। दोनों लड़किया नेहा और अनुजा सुरक्षित महसूस नहीं करती है। लेकिन उनकी मजबूरी रहती है वह रुकने की क्यों की बारिश रुकने का नाम ही नहीं लेती है। दोनों को रुकने के लिए एक कमरा दिया जाता है। दोनों अंदर से कमरा बंद कर लेती है। अनुजा नेहा से कहती है की तुमने अपने भाई को बताया है की तुम कहा हो? इतने में ही भोला दरवाजा बजाता है। दोनों लड़किया बहुत बुरी तरह डर जाती है। दरवाजा खोलती है तो देखती है की भोला पानी लेकर आया है। भोला को देख कर नेहा फ़ोन पर बात करने का नाटक करने लगती है। वो कहती है आज हम घर नहीं आएंगे, बारिश में फस गए है। भोला ये सुनकर वहां से चला जाता है। नेहा सो जाती है लेकिन अनुजा को चिंता से नींद नहीं आती है। घनश्याम अपनी माँ सावित्री के पैर दबा रहा होता है, और भोला वहां आकर कहता है की “भैया बहुत दिन हो गए है, मुझे करने का बहुत मन कर रहा है। उन लड़कियों के पास जाने दो” भोला आगे कहता है की वो लड़किया बहुत बुरी है वो अपने घर में झूठ बोल कर आयी है। घनश्याम, भोला को इशारे से मन कर देता है। इस पर सावित्री कहती है की उसे मन मत किया कर नहीं तो वो भाग जायेगा। अनुजा अपने कमरे से खिड़की के बाहर देखती है तो वो बहुत चौक जाती है। अनुजा देखती है घनश्याम और भोला किसी लाश को ठिकाने लगा रहे है। ये सब देखकर अनुजा के पैरो तले जमीन खिसक जाती है। अनुजा हड़बड़ा कर नेहा को उठाती है और नेहा से कहती है की उसने बाहर एक लाश देखी। इस पर नेहा कहती है की तुम्हारा शायद ये भ्रम होगा। लेकिन अनुजा यकीन से कहती है की उसने बाहर लाश देखीं है। फिर दोनों मिल कर निर्णय लेती है की वो वहां से रात में ही निकल जाएगी। दोनों चुपचाप दबे पैर बाहर निकलती है। सावित्री वही पर सोई रहती है। दोनों जब बाहर निकल कर लाश को खोजने की कोशिश करती है तो कोई अधमरा व्यक्ति उनका अचानक से पेअर पकड़ लेता है। वो दोनों लड़किया घबरा कर वहां से भागने की कोशिश करती चारो तरफ सिर्फ अँधेरा सुनसान होता है और वहां से निकलना न मुमकिन हो जाता है। फिर दोनों लड़किया ये तय करती है की वो सुबह होते ही वहां से निकल जाएगी। अनुजा और नेहा दोनों चुपके से कमरे में वापस आ जाती है और ये दिखाने की कोशिश करती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। जैसे ही सुबह होती है वो दोनों घर से जल्दी से निकलती है। घनश्याम अपनी माँ के बाल बना रहा होता है तभी घनश्याम से सावित्री कहती है की दोनों लड़किया कल रात में बाहर गयी थी। ये सुनते ही भोला और घनश्याम बाहर की तरफ भागते है उन लड़कियों को रोकने के लिए। घनश्याम और भोला उन पर पत्थर फेंकने लगते है और उन्हें रोक लेते है।
अब वो सच्चाई सामने आती है जिस से रिश्तों पर से विश्वास उठ जायेगा:
भोला और घनश्याम बेरहमी से अनुजा और नेहा को कैद कर लेते है। घनश्याम गुस्से से अंदर जाता है और प्रेरणा बिना कुछ कहे ही घनश्याम के सामने लेट जाती है और घनश्याम प्रेरणा के साथ शारीरिक संबंध बनाता है और प्रेरणा बिना किसी फीलिंग के ये सब करवाती रहती है। प्रेरणा के साथ शारीरिक सम्बन्ध के बारे में सावित्री को पता होता है। अब यहाँ भोला भी जिद करता है की उसको भी उन लड़कियों से शारीरिक सम्बन्ध बनाना है। इस बार घनश्याम, भोला को इजाजत दे देता है। यहाँ अनुजा और नेहा निकलने की कोशिश करती है लेकिन उन्हें बहुत बुरी तरह से मारा जाता है और दोनों लड़किया बुरी तरह से जख्मी हो जाती है। भोला नहाता है और इत्र लगा कर अच्छे से तैयार हो कर नेहा के पास जाता है और नेहा का बलात्कार करता है। अनुजा उसको रोकने की कोशिश करती है। दोनों में हाथापाई होती है। ऐसे ही दिन बीतने लगते है और नेहा का भाई उसको ढूंढते हुए घनश्याम के घर तक आ जाता है। नेहा का भाई फोटो दिखाते हुए पूछता है की ये लड़की यहाँ आयी है क्या? तो भोला और घनश्याम कहते है की नहीं यहाँ कोई नहीं आया है। जैसे ही नेहा का भाई लौटने लगता है वैसे ही वो नेहा का कपडा का टुकड़ा देखता है और वो समझ जाता है की नेहा यही है। जैसे ही नेहा का भाई मुड़ता है और पूछता है वैसे ही घनश्याम एक बड़े से पत्थर से नेहा के भाई का सिर कुचल कर मार डालता है।
अनुजा को एक मौका मिल जाता है भागने का लेकिन अब अनुजा ने ठान लिया की वो भागेगी नहीं और वो प्रेरणा को उन शैतानो से बचाएगी। अनुजा वापिस घर आती है तो नेहा कहती है की “प्रेरणा घनश्याम की पत्नी नहीं उसकी बेटी है” और सावित्री उसकी दादी। अब अनुजा ठान लेती है की वो इस शैतान को सजा दे रहेगी। अनुजा एक पास पड़े हासिया से घनश्याम पर हमला करती है। घनश्याम और अनुजा में जबरदस्त लड़ाई होती है। दोनों छत पर लड़ रहे होते है और तभी घनश्याम की माँ सीढ़ियों पर कड़ी नेहा पर हमला कर देती है। लेकिन नेहा सावित्री को वही मार डालती है। अनुजा बुरी तरह से जख्मी होने के बाद भी घनश्याम को मरने की हालत में ले आती है, और जैसे ही घनश्याम अनुजा की तरफ दौड़ता है अनुजा उसको छत से नीचे गिरा देती है। घनश्याम नीचे गिरते ही मर जाता है। प्रेरणा ये सब एक खिड़की से देख रही होती है लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं होता है। उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। अनुजा उस अधमरे व्यक्ति को भी आजाद कराती है। रिश्तो को शर्मशार करने वाली यह सच्ची घटना नागपुर की है। कोई पिता कैसे अपनी बेटी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकता है? ये सोच कर ही रूह कांप जाती है। पुलिस की जांच पड़ताल में पता चलता है की भोला और घनश्याम इस से पहले भी कई लोगो को मौत के घाट उतार चुके थे। प्रेरणा भी कई बच्चो को पहले भी जन्म दे चुकी थी और उसके बच्चे होते ही घनश्याम उसको मार देता था। इस फिल्म के कुछ दृश्य आपको विचलित कर सकते है।
फिल्म की स्टार कास्ट :
कश्मीरा ईरानी – अनुजा
स्वर्दा थिगले – नेहा
टीना भाटिया – प्रेरणा
बोलोराम दास – भोला
शशिभूषण- घनश्याम