अक्षय तृतीया: भारतीय संस्कृति में पर्व और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं पर्वों में से एक है अक्षय तृतीया, जिसे ‘अक्ती’ और ‘अखती’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हिंदू और जैन धर्मावलंबियों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का अर्थ है – ‘ऐसा तीसरा दिन जो कभी क्षय (नाश) न हो’। इस दिन किए गए पुण्यकर्म, दान और शुभ कार्यों का फल अक्षय रहता है।
अक्षय तृतीया का महत्व:
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए दान-पुण्य, जप-तप, व्रत और पूजा का अनंत फल मिलता है। यह दिन सर्वसिद्धि मुहूर्त माना जाता है, यानी इस दिन बिना किसी मुहूर्त देखे विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार का आरंभ आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएँ
अक्षय तृतीया से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं:
- भगवान विष्णु और परशुराम जन्म: कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने छठे अवतार के रूप में परशुराम का अवतार लिया था। परशुराम को विष्णु का अंशावतार माना जाता है, जो अन्याय और अधर्म के विनाश के लिए प्रसिद्ध हैं।
- महाभारत और अक्षय पात्र: महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे, तब द्रौपदी की प्रार्थना पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे उन्हें कभी भोजन की कमी नहीं हुई। यह अक्षय पात्र अक्षय तृतीया के दिन ही प्राप्त हुआ था।
- गंगा अवतरण: एक अन्य कथा के अनुसार, धरती पर गंगा नदी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। गंगा के पवित्र जल से समस्त पापों का नाश होता है।
- कुबेर और लक्ष्मी की कृपा: मान्यता है कि इस दिन धन के देवता कुबेर को अपार संपत्ति प्राप्त हुई थी। इसलिए, लोग इस दिन सोना, चांदी, और अन्य कीमती वस्तुएँ खरीदते हैं ताकि उनके जीवन में भी समृद्धि बनी रहे।
अक्षय तृतीया के दिन के विशेष कार्य
- स्वर्ण खरीदारी: परंपरागत रूप से लोग इस दिन सोना खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में बढ़ोत्तरी होती है और वह संपत्ति अक्षय रहती है।
- दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र, जल, चप्पल, छाता आदि का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
- विवाह समारोह: इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। कई स्थानों पर सामूहिक विवाहों का आयोजन भी होता है।
- तीर्थ स्नान और पूजा: गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा, भगवान विष्णु, लक्ष्मी, और गणेश जी की पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है।
- जप और ध्यान: भगवान विष्णु के ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप विशेष फलदायक होता है।

अक्षय तृतीया पर कैसे करें पूजन
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करें।
- अक्षत (चावल), तिल, जल, फल, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं।
- पीली वस्तुओं (जैसे हल्दी, चना दाल) का दान करें।
- जल से भरा घड़ा, छाता, चप्पल, कपड़े आदि का दान करें।
- व्रत रखने वाले दिन भर फलाहार कर सकते हैं और संध्या के समय पूजा कर व्रत खोल सकते हैं।
आज के समय में अक्षय तृतीया का महत्व:
आज के आधुनिक युग में भी अक्षय तृतीया का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग इस दिन संपत्ति में निवेश करते हैं, जैसे – जमीन, घर, गाड़ी, सोना आदि खरीदते हैं। व्यवसायी नए व्यापार की शुरुआत करते हैं, शेयर बाजार में निवेश करते हैं, और डिजिटल माध्यम से भी दान-पुण्य करते हैं। अक्षय तृतीया का मूल संदेश है – शुभ कार्यों की शुरुआत करना और दूसरों के जीवन में सुख और समृद्धि लाना।

विशेष सुझाव:
- केवल सोने की खरीदारी तक ही इस पर्व को सीमित न करें, बल्कि जरूरतमंदों की सहायता करें।
- पेड़-पौधे लगाएं, जल संरक्षण करें और समाज सेवा के कार्य करें।
- ईश्वर भक्ति, सत्य बोलने और सद्कर्मों का संकल्प लें, ताकि जीवन में वास्तविक ‘अक्षय’ पुण्य की प्राप्ति हो सके।
इसके बिना सब खरीदना है बेकार:
अक्षय तृतीया पर अगर आप सोना नहीं सकते या फिर आपने सोना खरीदा और उसके साथ कुछ चीजे नहीं ली तो सब बेकार है। अगर आप सोना खरीदते भी है और इस दिन चावल नहीं खरीदते तो सोना बेकार है। अगर आप नया घर खरीद रहे और नया झाड़ू नहीं लिया तो घर खरीदना भी किसी काम का नहीं है। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन चावल ख़रीदे, घर की झाड़ू बदले नया झाड़ू लाये। राशन का सामान दाल, चावल, घी सब जरूर ख़रीदे। इस दिन केसर भी ख़रीदे। कपडे की खरीदारी करें। इस दिन दान जरूर करना चाहिए।
निष्कर्ष
अक्षय तृतीया न केवल एक पर्व है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब हम अपने जीवन को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जा सकते हैं। यह दिन हमें यह संदेश देता है कि शुभ कर्मों का कभी क्षय नहीं होता। इस अक्षय तृतीया पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम न केवल अपनी सुख-समृद्धि के लिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के कल्याण के लिए भी कार्य करें।
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अक्षय तृतीया क्या है?
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि “अक्षय” यानी “जिसका कभी क्षय न हो” के रूप में जानी जाती है। इस दिन किया गया दान, पूजा, जप और तप फलदायी होता है और उसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
अक्षय तृतीया 2025 में कब है?
वर्ष 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी
अक्षय तृतीया पर क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
इस दिन सोना, चांदी, वाहन, जमीन, नया घर, बर्तन और नए वस्त्र खरीदना शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है?
इस दिन भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, और भगवान परशुराम की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर गणेश जी और माता अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है।
क्या अक्षय तृतीया पर कोई व्रत रखा जाता है?
हाँ, बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं। व्रत के साथ पूजा-पाठ, हवन और दान-पुण्य भी किया जाता है।
अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
यह तिथि स्वयं सिद्ध मानी जाती है, अर्थात् इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, और नए व्यवसाय की शुरुआत के लिए यह दिन श्रेष्ठ होता है।
अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?
मान्यता है कि इस दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था, भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और महाभारत का लेखन भी इसी दिन प्रारंभ हुआ था। साथ ही यह दिन अक्षय पुण्य और सौभाग्य दिलाने वाला माना जाता है।
इस दिन दान में क्या देना चाहिए?
अक्षय तृतीया पर जल से भरे घड़े, छाते, जूते, वस्त्र, अनाज, चावल, घी, गुड़ और शक्कर आदि का दान करना विशेष पुण्यदायक माना जाता है।